छात्र प्रोत्साहन योजना :-
10वीं कक्षा एवं 12वीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र द्वारा 90% से अधिक अंक प्राप्त करने पर 11000/- रुपये का नकद पुरस्कार तथा 8वीं कक्षा में उत्तीर्ण श्रेष्ठतम दो छात्रों को 5100/- रुपये नकद पुरस्कार दिया जाता है।
10वीं में 90% से अधिक अंक विज्ञान वर्ग लेने पर व 80% से अधिक वाणिज्य वर्ग लेने पर शिक्षण शुल्क में 50% की छूट प्रदान की जाती है।
केशव विद्यापीठ
ऋषियों की पवित्रधरा, ज्ञान की जननी, भारत की पवित्र भूमि पर सनातन काल से ज्ञान सरितायें प्रवाहित होती रही हैं। गंगा की पवित्रता, यमुना का चारित्र्य तथा सरस्वती की धवलता के संगम का नाम ही केशव विद्यापीठ है। यह ज्योतिर्मय संस्था भारतवर्ष को ज्ञानामृत अर्पण कर विश्व मानवता के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने में लगी हुई है। जिस प्रकार रात्रि के तमस के पश्चात् सूर्य किरणें प्रस्फुटित होकर सम्पूर्ण जगत को ज्योतिर्मय कर, परिणामतः जीव जगत का सृजन एवं परिष्करण करती हैं, उसी प्रकार ‘केशव विद्यापीठ’ राष्ट्र को परम वैभव की ओर ले जाने हेतु एक सशक्त, स्वाभिमानी, समरसता पूर्ण समाज के रचनार्थ, शिक्षा नामक उपकरण के सहारे व्यक्ति निर्माण कर रहा है। यही संस्कारों एवं नैतिकता की सुगन्ध है। उत्कृष्ट विचार, परोपकार, राष्ट्रभक्ति की उत्कट भावना एवं सामाजिक समरसता के सृजन भाव कण-कण में विद्यमान हैं। इस ‘प्रखरित प्रकाश’ का उदय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक-डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार जी की जन्मतिथि अर्थात वर्ष प्रतिपदा, (चैत्र शुक्ला एकम्) वि.सं. 2045, तदनुसार 19 मार्च, 1988 को जामडोली, जयपुर में हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सह सरकार्यवाह एवं प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. राजेन्द्र सिह (रज्जू भैया) के करकमलों द्वारा 01 मई 1988 को इसके प्रथम भवन का शिलान्यास हुआ। श्री दीनदयाल शोध संस्थान दिल्ली के तत्कालीन अध्यक्ष तथा चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति माननीय श्री नानाजी देशमुख के द्वारा चैत्र शुक्ला नवमी वि.सं. 2047 (रामनवमी) अर्थात 3 अप्रैल 1990 के शुभ दिन इसका विधिवत उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय श्री भैरोसिंह शेखावत जी ने की थी।
केशव विद्यापीठ का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है,इसका लक्ष्य हमारी सर्वसिद्ध प्राचीन भारतीय पद्धति की पंचकोषात्मक व्यक्तित्व की अवधारणा है, जिसके अनुसार पाँच कोष इस प्रकार हैं – अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, ज्ञानमय कोष, आनन्दमय कोष। केशव विद्यापीठ अपने इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनवरत प्रयासरत है।

प्राचार्य संदेश

किसी भी राष्ट्र की सच्ची पूँजी वहाँ के भौतिक एवं प्राकृतिक संसाधन नहीं, वरन् सद्गुणों से युक्त देश के वे नागरिक हैं जो अपने कार्य से राष्ट्र को समृद्ध व सुरभित करते हैं। विद्यालय जाने का यही परिणाम होना चाहिए कि जिससे इस प्रकार की युवा पीढ़ी का निर्माण हो, जो अपने कार्य से स्वयं के साथ राष्ट्र को समृद्धि एव गौरव प्रदान करे। हमारा प्रयास इसी प्रकार के नागरिकों का सृजन करना है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस प्रकार की युवा पीढ़ी का निर्माण आधुनिक गुरूकुल परम्परा से ही संभव है, जहाँ छात्र पूरे समय गुरूजनों के सानिध्य एवं उनके श्रेष्ठ मार्गदर्शन में रहता है। केशव विद्यापीठ का शंकर लाल धानुका आवासीय विद्यालय संस्कार, अनुशासन एवं शिक्षा के उच्च आयामों को स्थापित करने की दिशा में सतत् अग्रसर है।
अनूप सिंह राठौर
Highlights
New Admission Open 2020
The school PTFA would like to invite you to enjoy an evening of Pasta and Prosecco in November.
Our Goals
Testimonial

मेरे अनुभव के अनुसार वर्तमान में कई शिक्षण संस्थाएं हैं जिनके अनेक विद्यार्थी आज इंडियन फॉरेन सर्विस, IAS, RAS, डॉक्टर, इंजीनियर, लेक्चरर या किसी बड़े व्यापारिक समूह में मैनेजर पद पर कार्यरत हैं; केशव विद्यापीठ भी उन में से एक है. परंतु जिस प्रकार गुरुजनों के पिता तुल्य स्नेह एवं सहपाठियों के अपरिमित सौहार्दपूर्ण वातावरण के मध्य उच्च नैतिक मूल्यों, सभ्यता, संस्कृति, अनुशासन एवं देशभक्ति की शिक्षा केशव विद्यापीठ संस्थान द्वारा दी जाती है वह अतुलनीय है तथा इसे अन्य संस्थाओं से पूर्णतया भिन्न एवं उच्चतर सिद्ध करती है.

साक्षर होने शिक्षित होने और अपने राष्ट्र के इतिहास और परम्पराओं के ज्ञान होने में अंतर है यही वह सूक्ष्म रेखा है जो विद्यापीठ को अन्य शिक्षण संस्थाओं से विलग करती है, विद्यापीठ में प्राप्त बहुआयामी शिक्षा से विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होता है और संभवतः इसी कारण हमारे विद्यार्थी हर प्रकार के प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षण चाहे तकनीकी हो या प्रशासकीय में सफल होते हैं|